धुमकुड़िया, उराँव आदिवासी समाज की एक पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र है। प्राचीन काल से ही यह, गाँव में एक व्यक्तित्व एवं कौशल विकास शिक्षण-शाला के रूप में हुआ करता था, जो गाँव के लोगों द्वारा ही चलाया जाता था। समय के साथ यह पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र विलुप्त होने की स्थिति में है। कुछ दशक पूर्व तक यह संस्था किसी-किसी गाँव में दिखलाई पड़ता था किन्तु वर्तमान शिक्षा पद्धति के प्रचार-प्रसार के बाद यह इतिहास के पन्ने में सिमट चुका है। कुछ लेखकों ने इसे युवागृह कहकर यौन-शोषन स्थल के रूप में पेश किया, तो कई मानवशास्त्री इसे असामयिक कहे, किन्तु अधिकतर चिंतकों ने इसे समाज की जरूरत कहते हुए सराहना की है। आदिवासी परम्परा में मान्यता है कि - यह लयवद्ध तरीके से समाज के लोगों के लिए सामाजिक जीवन जीने की कला सीखने तथा कौशल विकास करने का केन्द्र है। (It is a traditional social learning centre for personality and skill development among Children and Young in Oraon tribe.)
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