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KT MAG 06

Kurukh Times बहुभाषीय पत्रिका का छठा अंक प्रकाशित हो चुका है। अपनी खास साज-सज्‍जा और समृद्ध लेखों से परिपूर्ण यह पत्र…

Kurukh Times Magazine Vol 05

कुंड़ुख टाइम्‍स (वेब संस्‍करण) का अक्‍टूबर से दिसंबर 2022 / अंक 5 का यह संस्‍करण काफी पठनीय है। आप इसे यहां ऑनलाइन पढ…

Dhumkuria Book

धुमकुड़िया, उराँव आदिवासी समाज की एक पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र है। प्राचीन काल से ही यह, गा…

Kurukh Times print edition 04
कुंड़ुख टाइम्‍स त्रैमासिक पत्रिका का चतुर्थ (4th)अंक प्रकाशित हो गया है। यह अंक 'बिसुसेन्‍दरा विशेषांक' है। यह अंक Tata
शब्‍दावली बैठक 1

दिनांक 01 मई 2022, दिन रविवार को आदिवासी उराँव समाज समिति, बिरसा नगर, जोन न०-6, जमशेदपुर में ‘‘कुँड़ुख़ व्याकरण की पार…

KurukhTimes.com Print Edition Vol. 1

आपको तो पता है कि हमारा-आपका एक और वेबसाइट KurukhTimes.com लम्‍बे समय से आपको कुंड़ुख जगत की खबरें, सूचनाएं और शोध आद…

पहेलियां..

कुंड़ुख़ भाषा में पहेलियों का प्रयोग बखुबी होता है। बच्चों के लिए यह बौदि्धक एवं भाषा विकास का एक अनोखा तरीका है जिसे स…

कुड़ुख मुहावरे

कुंड़ुख़ भाषा में मुहावरा एवं कहावत का प्रयोग बखुबी होता है। कई असहज बातों को इससे आसानी से समझा जाता है। आइये इसे जाने…

@KurukhTimes.com

पिन्‍की लिन्‍डा vs बागा तिर्की : आखिर क्‍यों, छुटा-छुटी (तलाक) से पहले हो गया केस डिसमिस?..

2 days 6 hours ago
पिन्‍की लिन्‍डा vs बागा तिर्की : आखिर क्‍यों, छुटा-छुटी (तलाक) से पहले हो गया केस डिसमिस?..

यह वीडियो हमारे पिछले वीडियो https://youtu.be/gxus_PSq_yg का हिस्‍सा (Excerpt) है, जिसका शीर्षक था- 'कोई प्रथा कैसे बनती है कस्‍टमरी लॉ?.. | How does a custom become a Customary Law?' वीडियो में मुख्‍य वक्‍ता हैं कानून के प्राध्‍यापक श्री रामचन्‍द्र उरांव। सवाल कर रहे हैं, पत्रकार किसलय। वह पूरा वीडियो यहां देख - सुन सकते हैं। https://youtu.be/gxus_PSq_yg

admin

कोई प्रथा कैसे बनती है कस्‍टमरी लॉ?

2 days 6 hours ago
कोई प्रथा कैसे बनती है कस्‍टमरी लॉ?

भारत में आदिवासियों के कई मामलों में अलग कानून चलता है, जिसे कस्‍टमरी लॉ या प्रथागत कानून कहते हैं। इस प्रसंग में हम पिछले अंक में चर्चा कर चुके हैं। आप उस वीडियो को यहां ऊपर, दाहिनी तरफ आ रहे लिंक पर देख और सुन सकते हैं। उस वीडियो में हमने कस्‍टमरी लॉ के अर्थ, उसके अलग-अलग तत्‍वों पर चर्चा की थी। आदिवासियों की रूढि़यों पर आधारित उनकी सामाजिक संरचना पर भी हम बात कर चुके हैं। आज हम कस्‍टमरी लॉ के कुछ अन्‍य पहलुओं पर बातें करेंगे। जैसे, कोई प्रथा या रूढि़ कानून बनने लायक है, या नहीं, यह तय कैसे होगा? तय करने की प्रक्रिया क्‍या है? भारतीय न्‍यायालयों में कस्‍टमरी लॉ को कितना महत्‍व मिलता है?

admin

आदिवासियों का कस्‍टमरी लॉ अलग क्‍यों है?

6 days 7 hours ago
आदिवासियों का कस्‍टमरी लॉ अलग क्‍यों है? admin Tue, 03/14/2023 - 10:33

आपको पता है, भारत में दो तरह के कानून चलते हैं: पहला 'जेनरल लॉ' और दूसरा 'कस्‍टमरी लॉ'। जेनरल लॉ यानी सामान्‍य कानून पूरे देश में लागू होता है, जबकि 'कस्‍टमरी लॉ' केवल आदिवासियों के प्रसंग में चलता है। आये दिन इसपर कई विवाद भी हुए हैं। मामला उच्‍च न्‍यायालयों तक पहुंचता है। और ऐन वक्‍त सामने आता है आदिवासियों का कस्‍टमरी लॉ। - कहा जाता है, आदिवासियों पर दहेज कानून लागू नहीं होता?.. क्‍यों और कैसे? - अभी पिछले दिनों आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्‍सेदारी को लेकर खूब विवाद हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा.. और उभर कर सामने आया कस्‍टमरी लॉ..

admin

कुंड़ुखटाइम्‍स मैगजिन का 06 अंक प्रकाशित हुआ..

6 days 8 hours ago
कुंड़ुखटाइम्‍स मैगजिन का 06 अंक प्रकाशित हुआ.. admin Tue, 03/14/2023 - 10:20

Kurukh Times बहुभाषीय पत्रिका का छठा अंक प्रकाशित हो चुका है। अपनी खास साज-सज्‍जा और समृद्ध लेखों से परिपूर्ण यह पत्रिका पठनीय है। आप इसे यहीं ऑनलाइन पढ़ सकते हैं अथवा चाहें तो, नि:शुल्‍क डाउनलोड भी कर सकते हैं। नीचे पीडीएफ वर्जन उपलब्‍ध है। पढ़ें अथवा डाउनलोड कर लें। 

admin

महादेव टोप्‍पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन

2 weeks ago
महादेव टोप्‍पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन admin Sun, 03/05/2023 - 22:53

झारखंड की माटी के साहित्‍यकार: कवि, लेखक, अभिनेता व पूर्व बैंककर्मी महादेव टोप्पो को साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) का सदस्य के रूप में मनोनयन किये पर आदिवासी समाज की ओर से जोरदार अभिनंदन किया गया। 05 मार्च 2023 को करमटोली (रांची) स्थित आदिवासी कॉलेज छात्रावास के पुस्तकालय भवन भवन में दर्जनों संस्‍थाओं के प्रतिनिधियों एवं स्‍थानीय युवक-युवतियों ने महादेव टोप्‍पो और उनकी धर्मपत्‍नी को पुष्‍पगुच्‍छ, झारखंडी परिधानों एवं संस्‍कारों के साथ सम्‍मानित किया। इस कार्यक्रम के संयोजक मंडल में शामिल थे, डॉ. नारायण उराँव, सैंदा, डॉ. नारायण भगत, नागराज उराँव,  डॉ.

admin

साहित्‍य अकादमी का सदस्‍य चुने जाने पर महादेव टोप्‍पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन

2 weeks 1 day ago
साहित्‍य अकादमी का सदस्‍य चुने जाने पर महादेव टोप्‍पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन

झारखंड की माटी के साहित्‍यकार: कवि, लेखक, अभिनेता व पूर्व बैंककर्मी महादेव टोप्पो को साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) का सदस्य के रूप में मनोनयन किये पर आदिवासी समाज की ओर से जोरदार अभिनंदन किया गया। 05 मार्च 2023 को करमटोली (रांची) स्थित आदिवासी कॉलेज छात्रावास के पुस्तकालय भवन भवन में दर्जनों संस्‍थाओं के प्रतिनिधियों एवं स्‍थानीय युवक-युवतियों ने महादेव टोप्‍पो और उनकी धर्मपत्‍नी को पुष्‍पगुच्‍छ, झारखंडी परिधानों एवं संस्‍कारों के साथ सम्‍मानित किया। इस कार्यक्रम के संयोजक मंडल में शामिल थे, डॉ. नारायण उराँव, सैंदा, डॉ. नारायण भगत, नागराज उराँव,  डॉ.

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कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि सप्ताह समारोह दिवस राँची जिला 2023 सम्पन्न     

2 weeks 3 days ago
कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि सप्ताह समारोह दिवस राँची जिला 2023 सम्पन्न     

दिनांक 20/02/2023 दिन सोमवार को राँची जिला के बेड़ो प्रखण्ड के कठरटोली मैदान में एक दिवसीय कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि सप्ताह रांची जिला दिवस 2023 समारोह सम्पन्न हुआ। इस समारोह में रांची जिला के कुड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि लिपि के पठन-पाठन से जुड़े छोटे-बडे़ विद्यालय एवं धुमकुड़िया के छात्र, शिक्षक एवं अभिभावक शामिल थे। इस अवसर पर तोलोंग सिकि लिपि के संस्थापक डॉ नारायण उरांव, विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व कुलपति डॉ.

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कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि सप्ताह समारोह दिवस लोहरदगा जिला 2023 सम्पन्न

2 weeks 3 days ago
कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि सप्ताह समारोह दिवस लोहरदगा जिला 2023 सम्पन्न

दिनांक 19/02/2023 दिन रविवार को लोहरदगा जिला के ग्राम इरगाँव बजार टाड़ में कुँड़ुख कत्थ तोलोंग सिकि सप्ताह दिवस लोहरदगा जिला 2023 का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री रोशन कुजूर के स्वागत भाषण से शुरु हुआ। इस कार्यक्रम में बाईस पड़हा भण्डारी श्री मटकु उरांव सिसई गुमला ने लोगों को अपनी कुँड़ुख तोलोंग सिकि को अपने समाज की भाषा संस्कृति के संरक्षण के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि अपने समाज की पहचान भाषा और संस्कृति है। इसलिए भाषा के बचाने के लिए उसका साहित्य अपनी लिपि में विकसित किये जाने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम का तकनीकि सहयोग करने वाली संस्था, अखड़ा क

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