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आज के समय में इंसान इंटरनेट में कैद है और प्राकृति से दूर है
लेकिन अगर आपको समय मिले तो phytoncides प्रोसेस के बारे में गूगल करिएगा। आपको पता चलेगा कि जंगलों की ओर जाने से और वहां सांस लेने से आप अपना इम्यून सिस्टम बेहतर कर सकते हैं।
पूरा जंगल एक दूसरे की मदद करता रहता है। इस पूरे कांसेप्ट को Ubuntu कहते हैं। हम खुद को समझदार मानते हैं। लेकिन हमें ये कांसेप्ट बहुत कुछ सिखा सकता है। इसलिए दूसरों की मदद करते रहें और आगे बढ़ते रहें।
परम्परागत आदिवासी समाज और डिलिस्टिंग विषयक राजनीति
श्री गजेन्द्र उरांव उर्फ नाना जी उम्र 70 वर्ष थाना सिसई जिला गुमला के रहनेवाले एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। स्कूली शिक्षा में बे 9वीं पास हैं। उनका कहना है कि बचपन में उनके माता पिता स्कूल न भेजकर, बैल-बकरी चराने के लिए भेजते थे। इस कार्य में उनका दिल नहीं लगता था। तब वे बड़े भाई के साथ बोकारो के कोयला खादान में काम करने चले गए। वहां कई साल रहे पर वहां भी खादान के काम में भी मन नहीं लगा। फिर वे वापस गांव चले आए। गांव आकर अपने से 5-6 वर्ष छोटे उम्र के साथियों के साथ गांव के यू0पी0 स्कूल,सैन्दा (सिसई,गुमला) में नामांकन कराये। वहां 5वीं तक पढ़ाई करने के बाद वे राजकीय मध्य विद्यालय,सिसई में दाखिला
वैदिक वर्णमाला और संस्कृत व्याकरण ऐसे समझिये (भाग 3/3)
वैदिक वर्णमाला और संस्कृत वैयाकरण विशेषज्ञों की मान्यताएं विषय पर चर्चा करना कोई आसान काम नहीं है। फिर भी इसे जानने और समझने का प्रयास किये जाने पर ही यह बातें लोगों तक पहुंच पाएंगी। जब मैं 1991-96 में आदिवासी उरांव भाषा की लिपि विषय पर कार्य कर रहा था, तब संस्कृत व्याकरण के ग्रेजुएट ने संस्कृत व्याकरण के तथ्यों एवं मान्यताओं पर प्रकाश डाला। मैं तब से अबतक इसे समझने का प्रयास कर रहा हूं। इसके संदर्भ में नयी जानकारी के साथ यह फोटो पी डी एफ देखें और पढ़ें -- डॉ नारायण उरांव 'सैन्दा
इस आलेख का अगला हिस्सा ठीक नीचे लिंक में देखें:
वैदिक वर्णमाला और संस्कृत व्याकरण ऐसे समझिये (भाग 2/3)
वैदिक वर्णमाला और संस्कृत वैयाकरण विशेषज्ञों की मान्यताएं विषय पर चर्चा करना कोई आसान काम नहीं है। फिर भी इसे जानने और समझने का प्रयास किये जाने पर ही यह बातें लोगों तक पहुंच पाएंगी। जब मैं 1991-96 में आदिवासी उरांव भाषा की लिपि विषय पर कार्य कर रहा था, तब संस्कृत व्याकरण के ग्रेजुएट ने संस्कृत व्याकरण के तथ्यों एवं मान्यताओं पर प्रकाश डाला। मैं तब से अबतक इसे समझने का प्रयास कर रहा हूं। इसके संदर्भ में नयी जानकारी के साथ यह फोटो पी डी एफ देखें और पढ़ें -- डॉ नारायण उरांव 'सैन्दा
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वैदिक वर्णमाला और संस्कृत व्याकरण ऐसे समझिये (भाग 1/2)
वैदिक वर्णमाला और संस्कृत व्याकरण विशेषज्ञों की मान्यताएं विषय पर चर्चा करना कोई आसान काम नहीं है। फिर भी इसे जानने और समझने का प्रयास किये जाने पर ही यह बातें लोगों तक पहुंच पाएंगी। जब मैं 1991-96 में आदिवासी उरांव भाषा की लिपि विषय पर कार्य कर रहा था, तब संस्कृत व्याकरण के ग्रेजुएट ने संस्कृत व्याकरण के तथ्यों एवं मान्यताओं पर प्रकाश डाला। मैं तब से अबतक इसे समझने का प्रयास कर रहा हूं। इसके संदर्भ में नयी जानकारी के साथ यह फोटो पी डी एफ देखें और पढ़ें -- डॉ नारायण उरांव 'सैन्दा
धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग 3/3)
इस विशेष अंक का भाग-3 नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्क..
आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं..
धुमकुडि़या भाग-2 https://kurukhtimes.com/node/380
धुमकुडि़या भाग-1 https://kurukhtimes.com/node/379
धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग 2/3)
इस विशेष अंक का भाग -2 नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्क..
आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं..
धुमकुडि़या भाग-3 https://kurukhtimes.com/node/381
धुमकुडि़या भाग-1 https://kurukhtimes.com/node/379
धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग1/3)
इस विशेष अंक का भाग एक नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्क..
आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं..
धुमकुडि़या भाग-2 https://kurukhtimes.com/node/380
धुमकुडि़या भाग-3 https://kurukhtimes.com/node/381
कुंड़ुंख टाइम्स डिजिटल मैगजिन Vol 07
इस डिजिटल मैगजिन को यहां ऑनलाइन पढ़ सकते हैं अथवा पीडीएफ कॉपी डाउनलोड कर सकते हैं, नीचे..
कुंड़ुखटाइम्स मैगजिन का डिजिटल एडिशन Vol 10
यहां पीडीएफ में नि:शुल्क पढ़ें कुंड़ुखटाइम्स मैगजिन का डिजिटल एडिशन Vol 10 .
आप यहां नीचे से डाउनलोड भी कर सकते हैं।
परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बेलपंच्चा सामाजिक न्याय पंच - Digital
परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बेलपंच्चा सामाजिक न्याय पंच पर विशेष कवरेज। इस विशेष अंक को यहां नीचे पीडीएफ में पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो इसे यहीं से डाउनलोड भी कर सकते हैं।
कुंड़ुंख टाइम्स का मैगजिन Vol 09 प्रकाशित हो गया है...
कुंड़ुंखटाइम्स की डिजिटल पत्रिका छप गई है। इस बार की पत्रिका में कई खास लेख शामिल हैं। आप इसे नि:शुल्क ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो इसका पीडीएफ वर्जन भी यहां से डाउनलोड कर सकते हैं। नीचे..
झारखंड में घुसपैठियों के आतंक पर परिचर्चा संपन्न आदिवासियों की जमीन और बेटियों की आबरू लूट का मसला
रांची: झारखंड के आदिवासी इलाकों में घुसपैठियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। घुसपैठिये आदिवासियों की जमीन ही नहीं लूट रहे आदिवासी बेटियों की आबरू से लेकर उनकी तस्करी तक कर रहे हैं। इसी प्रसंग में विगत रविवार यानी 24 मार्च 2024 को शाम साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक एक परिचर्चा का आयोजन संपन्न हुआ। विषय था: "झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सरहद पार घुसपैठियों द्वारा जमीन और बेटियों की मची लूट पर रोकथाम की पहल "
फग्गु परब अरा डिण्डा सिम्बाली गही कुंडु़ख़ पुरखा ख़ीरी
(फगुवा परब एवं सेमल पेड़ की पौराणिक उरांव लोक-कथा) : बअ़नर हुल्लो परिया नु कुँडुख़ खोंड़हा ओंगओल अकय ससईत नु रहचा। ओण्टा सोनो गिधि (WHITE VULTURE) आल जियन केरमे-केरमे पिटा-मुंज्जा लगिया। आद आःलर गही उगता-पगसिन ओन्टे कोहाँ ले सरा-हरा सिम्बाली मन्न नु खोता कमआ लगिया अरा आःलारिन नेप्पा-नेप्पा खोता मइय्याँ पिटा-मोख़ा लगिया। आद 12 चान नू ओंगओल बरअम लबगया अरा आलारिन तंगआ खोता नू पिटा मोंख़ा लगियाा। बअ़नर अदि गही बरचका ख़ोख़ा एका-एका से उल्ला कट्टा लगिया अन्नेम नितकिम ओरोत आल जिया खोंडहा ती नठारआ लगियर। गोट्टे खोंड़हा नु हुही चूःचकी रहचा का ओन्टा सोनो गिधि बरई दरा ओरोत आल जियन निप्पी-पिसी दरा पिटी
Kurukh Training Session at Kolkata
Refresher Training program on kurukh Language, 2024 was held from 19.03.2024 to 20.03.2024. This training program was organised by Cultural Research Institute, Kolkata, Govt of West Bengal in collaboration with Kurukh Literary Society of India Kolkata Chapter and this was sponsored by Tribal Development Department, Govt of WB. This program was held at Sidhu Kanu Bhavan, Salt Lake, Kolkata. In this program 32 Kurukh trainees participated from all over South Bengal who were previously participated in the primary level training program.
अंतर्राष्ट्रीय धावक बुधवा उरांव को अद्दी अखड़ा रांची की ओर से श्रद्धांजलि
पूर्व अंतर्राष्ट्रीय धावक बुधवा उरांव नही रहे लम्बे समय तक उन्होंने एथेलेटिक्स में देश और दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया वर्ष 1985 में मास्को में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में 800 मीटर के दौड़ में आभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया था 1986 के ओलम्पिक क्वालीफायर में 800 मीटर के दौड़ में तकनीकी के कारण ओलम्पिक में डिसक्वालीफाई कर गए थे ।1986 के ही एशियन गेम्स में 800 मीटर के दौड़ में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता । फिर वर्ष 1987 ढाका में आयोजित साउथ एशियन गेम्स 800 मीटर दौड़ में नया राष्ट्र रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता ।। वर्ष 1989 में कनाडा में आयोजित वर्
Oraon Marriage Music : उरांव परिवार के विवाह में पारंपरिक संगीत
रांची विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में कुंड़ुंख भाषा व तोलोंग सिकि को शामिल करने पर सहमति नहीं बनी
रांची: कुंड़ख भाषा एवं इसकी लिपि 'तोलोंग सिकि' को विश्वविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने को लेकर उद्वेलित कुंड़ुख भाषा-भाषी समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों रांची विश्वविद्यालय के कुलपति से भेंट की। कुलपति ने विषय को गंभीरता से लेते हुए एक मार्च 2024 का दिन तय किया और प्रतिनिधिंडल को बताया कि उस दिन कुंड़ुख समाज के लोग एवं विद्यार्थी तथा क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा विभाग के शिक्षाविदों के बीच इस विषय पर एक बैठक होगी। तय समय पर हुई इस बैठक में कुड़ुख भाषा एवं उसकी लिपि तोलोंग सिकि को विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में शामिल करने पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। इसमें क्षेत्रीय एव
इंटरमीडियट काउंसिल, रांची विवि एवं कुंड़ुंंख समाज का अन्तर्द्वन्द्व : नीतू साक्षी टोप्पो
शोधार्थी नीतू साक्षी टोप्पो का पठनीय आलेख जिसमें कुंड़ुंख भाषा एवं लिपि को लेकर झारखंड अधिविद्य परिषद, रांची विश्वविद्यालय के कुंड़ुंख भाषा विभाग और कुड़ुंख भाषा-भाषी उरांव समाज के अंतर्द्वन्द्व को विस्तार से बताया गया है। पूरा आलख पढ़ें नीचे पीडीएफ में..