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पारम्परिक मौसम विज्ञानी द्वारा मानसून का पूर्वानुमान : 2023 के लिए
गुमला : जिला, सिसई : थाना के सैन्दा ग्राम निवासी श्री गजेन्द्र उराँव, पिता स्व0 डुक्का उरांव, उम्र 67 वर्ष द्वारा दिनांक 28 मई 2023, दिन रविवार को बिशुनपुर (गुमला) में वर्ष 2023 का मानसून पूर्वानुमान किया गया। श्री गजेन्द्र उरांव विगत 10 वर्षों से लगातार परम्परागत तरीके से बोये जाने वाले धान के बीज को देखकर, मानसून पूर्वानुमान किया करते हैं, जो लगभग खरा उतर रहा है। उराँव परम्परा के मानसून पूर्वानुमान में पूरे मानसून को तीन चरण में वर्गीकृत किया गया है। पहला चरण - पच्चो करम से हरियनी पूजा तक। दूसरा चरण - हरियनी पूजा से करम पूजा तक तथा तीसरा चरण - करम पूजा से सोहरई पूजा तक। परम्परागत आदिवासी
तोलोंग सिकि कुंड़ुख साहित्यमाला (दोनों भाग)
तोलोंग सिकि कुंड़ुख़ कत्थपुन नामक यह पुस्तक वर्ष 1989 से 2022 तक का कुंड़ुख़ (उरांव) भाषा एवं तोलोंग सिकि लिपि विकास का इतिहास है। इस पुस्तक का प्रकाशन टाटा स्टील फाउंडेशन, जमशेदपुर के तकनीकी सहयोग से अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची द्वारा किया गया है। यह मूल पुस्तक का पीडीएफ वर्ज़न है। इस पुस्तक में उद्धृत तथ्यों की जानकारी हेतु नीचे पीडीएफ देखें।
यह साहित्यमाला दो हिस्सों में है। पीडीएफ में पहला हिस्सा पेज 1 से 157 तक और शेष दूसरा हिस्सा पेज 158 से शुरू होगा। आप चाहें तो इस पीडीएफ को डाउनलोड भी कर सकते हैं।
परम्परागत पड़हा बिसु सेन्दरा सम्मेलन सिसई भरनो 2023 सम्पन्न
कुंड़ु़ुख भाषा केंद्रों पर टाटा स्टील फाउन्डेशन द्वारा मानदेय का वितरण व कार्यसमीक्षा संपन्न
दिनांक 17 मई 2023 दिन बुधवार को टाटा स्टील फाउंडेशन, जमशेदपुर एवं अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची के संयुक्त तत्वावधान में संचालित कुंड़ुख़ भाषा एवं तोलोंग सिकि शिक्षा केन्द्र का टाटा स्टील फाउंडेशन जमशेदपुर के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया। यह बैठक बेड़ो प्रखंड के मनख़ा मुण्डा स्थान पर कईली दइई कुंड़ुख़ लूरकुड़िया, बेड़ो के छात्रावास में सम्पन्न हुआ। टाटा स्टील फाउंडेशन जमशेदपुर की ओर से श्री बिरेन तिऊ एवं श्री रामचंद्र टुडु उपस्थित थे। वहीं अद्दी अखड़ा रांची संस्था की ओर से अध्यक्ष श्री जिता उरांव, उपाध्यक्ष श्री सरन उरांव, संयुक्त सचिव श्री भईया रमन कुजूर, कोषाध्य
उरांव समाज में सम्बन्ध विच्छेद की प्रक्रिया : एक लोकगीत में
यह विडियो 17 मई 2023 को शूट किया गया है। इस विडियो में गायिका श्री मती सुशीला टोप्पो, पति श्री रन्थु उरांव द्वारा अपने गीत में परम्परागत उरांव समाज में प्रचलित वैयक्तिक प्रेम के चलते अपने वैवाहिक संबंध तोड़ने के लिए एक बहन अपने भाई से निवेदन करती है। भाई कहता है - जाओ बहन जाओ, दामाद बाबू ले जाने के लिए आये हैं। इसपर बहन कहती है - नहीं भैया नहीं, मैं ससुराल नहीं जाउंगी, मेरा हमउम्र साथी, मुझसे अत्यधिक प्रेम करता है। इसलिए हे भैया - आप मेरा डली ढिबा वापस कर दीजिए। मैं ससुराल नहीं जाउंगी। परम्परागत उरांव आदिवासी समाज में विवाह विच्छेद के लिए डली ढिबा (विवाह रस्म के शगून का प्रतीक धनराशि जिसे
डॉ करमा उरांव नहीं रहे
रांची: झारखंड के जाने माने शिक्षाविद डॉ करमा उरांव नहीं रहे। रविवार (14 मई 2023) सुबह उनका निधन हो गया। डॉ करमा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। हफ्ते में दो बार डायलिसिस चलता था। वे डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीडि़त थे। गत वर्ष कोरोना काल में उनके बड़े बेटे का देहांत हो गया था। डॉ करमा अपने परिवार के साथ मोराबादी स्थित आवास में रह रहे थे। वह अपने पीछे अपनी पत्नी, छोटा पुत्र और पुत्री (विवाहिता) छोड़ गये हैं। बड़े बेटे की पत्नी और पौत्र मुंबई में रहते हैं। यह जानकारी डॉ करमा के परिचितों से मिली है। उनके निधन पर झारखंड और आसपास के राज्यों में, खासकर आदिवासी समाज में, शोक व्याप गया है। डॉ करमा
शिक्षाविद् डॉ करमा उरांव नहीं रहे
रांची: झारखंड के जाने माने शिक्षाविद डॉ करमा उरांव नहीं रहे। रविवार (14 मई 2023) सुबह उनका निधन हो गया। डॉ करमा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। हफ्ते में दो बार डायलिसिस चलता था। वे डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीडि़त थे। गत वर्ष कोरोना काल में उनके बड़े बेटे का देहांत हो गया था। डॉ करमा अपने परिवार के साथ मोराबादी स्थित आवास में रह रहे थे। वह अपने पीछे अपनी पत्नी, छोटा पुत्र और पुत्री (विवाहिता) छोड़ गये हैं। बड़े बेटे की पत्नी और पौत्र मुंबई में रहते हैं। यह जानकारी डॉ करमा के परिचितों से मिली है। उनके निधन पर झारखंड और आसपास के राज्यों में, खासकर
आदिवासी शोध एवं सामाजिक सशक्तिकरण अभियान के तहत व्याख्यान एवं परिचर्चा श्रृंखला
उराँव समाज में पारंपरिक विवाह (बेंज्जा) एवं विवाह विच्छेद (बेंज्जा बिहोड़) और न्यायालय व्यवस्था में वर्तमान चुनौतियाँ" विषयक श्रृंखला परिचर्चा का द्वितीय बैठक आदिवासी कॉलेज छात्रावास के पुस्तकालय कक्ष में आयोजन किया गया। जिसमें निम्न गणमान्य लोगों की अहम उपस्थिति रही :- डॉ नारायण भगत (अध्यक्ष, कुँड़ुख साहित्य अकादमी, राँची), श्रीमती महामनी कुमारी उराँव, (सहायक प्राध्यापक, मारवाड़ी काॅलेज राँची), प्रो• रामचन्द्र उराँव, श्री सरन उराँव (संरक्षक, चाला अखड़ा खोंड़हा, हेहेल,राँची), श्री जिता उराँव (अध्यक्ष,अद्दी अखड़ा,राँची), बहुरा उरांव , डाॅ. विनीत भगत, श्री फूलदेव भगत, जीता उरांव, डॉ.
बीस वर्ष की काली रात (संक्षिप्त) : कार्तिक उरांव
इस पुस्तिका का लेखन एवं प्रकाशन पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव द्वारा कराया गया था। इस पुस्तिका में कार्तिक बाबा द्वारा देश की आजादी के बाद, वर्ष 1950 से 1970 (लगभग 20 वर्ष) के मध्य जंगलों एवं पहाड़ों के बीच रह रहे परम्परागत आदिवासियों के बारे में भारत देश की जनता एवं सरकार के समक्ष, समाज की दुर्दशा तथा संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा के शिकार दबे-कुचले लोगों की आवाज को शिखर तक पहुंचाने तथा रौशनी दिखाने का कार्य किया गया है। प्रस्तुत स्वरूप, पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव के विचारों को जानने एवं समझने की इच्छा रखने वाले सगाजनों के लिये मूल पुस्तिका की छायाप्रति आप पाठको के लिए प्रस्तु
धनबाद में महिलाओं का 'चिपको' आन्दोलन, कोयला खदान का विस्तार रोका
धनबाद:धनबाद में बीसीसीएल के पुटकी-बलिहारी एरिया में कोयला खदान विस्तार के लिए डेढ़ हजार से ज्यादा पेड़ काटने पहुंची कंपनी की टीम को ग्रामीणों का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा। इलाके की सैकड़ों महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं। उन्होंने साफ कह दिया कि एक भी पेड़ कटने नहीं दिया जाएगा। नतीजा यह कि कंपनी की टीम को बैरंग लौटना पड़ा।
बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) ने पुटकी-बलिहारी एरिया में डीएवी अलकुसा स्कूल के सामने 25 हेक्टेयर भूमि एक प्राइवेट कंपनी एसटीजी एसोसिएट्स को ओपन कास्ट पैच वर्क के लिए अलॉट किया गया है। इस पैच से 3.15 लाख टन कोयले का उत्पादन होना है।
आदिवासी शोध व सामाजिक सशक्तिकरण अभि यान
आदिवासी शोध एवं सामाजिक सशक्तिकरण अभियान के तहत "उराँव समाज में पारंपरिक विवाह (बेंज्जा) एवं विवाह विच्छेद (बेंज्जा बिहोड़) और न्यायालय व्यवस्था में वर्तमान चुनौतियाँ" विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। व्याख्यान एवं परिचर्चा श्रृंखला : 01/2023 दिनांक 02.04.2023 है़। इस व्याख्यान एवं परिचर्चा श्रृंखला के प्रेक्षक पड़हा न्याय पंच के रूप में उपस्थित थे।
श्रृंखला : 01/2023 दिनांक 02.04.2023 के पड़हा न्याय पंच के रूप में निम्नलिखित सदस्य उपस्थित थे :-
उरांव समाज में रूढि़गत विवाह व विच्छेद और न्यायिक चुनौतियां पर प्रो रामचंद्र उरांव का व्याख्यान 02 अप्रैल को रांची में
रांची: आदिवासी शोध एवं सामाजिक सशक्तिकरण अभियान श्रृंखला के तहत 02 अप्रैल 2023 को रांची (करमटोली) स्थित आदिवासी छात्रावास पुस्तकालय में विधिक व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। श्रृंखला की इस कड़ी में उरांव समाज के रूढि़गत विवाह अर्थात बेंज्जा एवं विवाह विच्छेद अर्थात बेंज्जा बिहोड़ पर जानेमाने विधि विशेषज्ञ प्रोफेसर रामचंद्र उरांव व्याख्यान देंगे। प्रो उरांव नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (रांची) में सहायक व्याख्याता हैं। प्रो उरांव के व्याख्यानों का वीडियो KurukhTimes.com पर भी उपलब्ध है। कार्यक्रम करीब ढ़ाई घंटों का होगा। शुरूआत पूर्वाहन 11 बजे होगी।
सरना धर्मगुरू प्रवीण उरांव का हृदयगति रूकने से निधन
सरना धर्म के जुझारू राष्ट्रीय धर्म गुरू व व्याख्याता डॉ प्रवीण उरांव का हृदयगति रूकने से निधन हो गया है। डॉ प्रवीण झारखंड आंदोलन के दौरान उभरे आजसू के संस्थापकों में से एक थे। उस वक्त युवाओं के आदर्श मानेजाने वाले प्रवीण एक संघर्षशील योद्धा के रूप में पहचाने जाते थे। मृत्यु के वक्त डॉ प्रवीण अपने आवास पर ही थे। उनकी पत्नी प्रोफसर मंती उरांव भी मौजूद रहीं। ईश्वर डॉ प्रवीण उरांव की आत्मा को शांति प्रदान करे।
!! हैप्पी सरहुल !!
पिन्की लिन्डा vs बागा तिर्की : आखिर क्यों, छुटा-छुटी (तलाक) से पहले हो गया केस डिसमिस?..
यह वीडियो हमारे पिछले वीडियो https://youtu.be/gxus_PSq_yg का हिस्सा (Excerpt) है, जिसका शीर्षक था- 'कोई प्रथा कैसे बनती है कस्टमरी लॉ?.. | How does a custom become a Customary Law?' वीडियो में मुख्य वक्ता हैं कानून के प्राध्यापक श्री रामचन्द्र उरांव। सवाल कर रहे हैं, पत्रकार किसलय। वह पूरा वीडियो यहां देख - सुन सकते हैं। https://youtu.be/gxus_PSq_yg
कोई प्रथा कैसे बनती है कस्टमरी लॉ?
भारत में आदिवासियों के कई मामलों में अलग कानून चलता है, जिसे कस्टमरी लॉ या प्रथागत कानून कहते हैं। इस प्रसंग में हम पिछले अंक में चर्चा कर चुके हैं। आप उस वीडियो को यहां ऊपर, दाहिनी तरफ आ रहे लिंक पर देख और सुन सकते हैं। उस वीडियो में हमने कस्टमरी लॉ के अर्थ, उसके अलग-अलग तत्वों पर चर्चा की थी। आदिवासियों की रूढि़यों पर आधारित उनकी सामाजिक संरचना पर भी हम बात कर चुके हैं। आज हम कस्टमरी लॉ के कुछ अन्य पहलुओं पर बातें करेंगे। जैसे, कोई प्रथा या रूढि़ कानून बनने लायक है, या नहीं, यह तय कैसे होगा? तय करने की प्रक्रिया क्या है? भारतीय न्यायालयों में कस्टमरी लॉ को कितना महत्व मिलता है?
आदिवासियों का कस्टमरी लॉ अलग क्यों है?
आपको पता है, भारत में दो तरह के कानून चलते हैं: पहला 'जेनरल लॉ' और दूसरा 'कस्टमरी लॉ'। जेनरल लॉ यानी सामान्य कानून पूरे देश में लागू होता है, जबकि 'कस्टमरी लॉ' केवल आदिवासियों के प्रसंग में चलता है। आये दिन इसपर कई विवाद भी हुए हैं। मामला उच्च न्यायालयों तक पहुंचता है। और ऐन वक्त सामने आता है आदिवासियों का कस्टमरी लॉ। - कहा जाता है, आदिवासियों पर दहेज कानून लागू नहीं होता?.. क्यों और कैसे? - अभी पिछले दिनों आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर खूब विवाद हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा.. और उभर कर सामने आया कस्टमरी लॉ..
कुंड़ुखटाइम्स मैगजिन का 06 अंक प्रकाशित हुआ..
Kurukh Times बहुभाषीय पत्रिका का छठा अंक प्रकाशित हो चुका है। अपनी खास साज-सज्जा और समृद्ध लेखों से परिपूर्ण यह पत्रिका पठनीय है। आप इसे यहीं ऑनलाइन पढ़ सकते हैं अथवा चाहें तो, नि:शुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं। नीचे पीडीएफ वर्जन उपलब्ध है। पढ़ें अथवा डाउनलोड कर लें।
महादेव टोप्पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन
झारखंड की माटी के साहित्यकार: कवि, लेखक, अभिनेता व पूर्व बैंककर्मी महादेव टोप्पो को साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) का सदस्य के रूप में मनोनयन किये पर आदिवासी समाज की ओर से जोरदार अभिनंदन किया गया। 05 मार्च 2023 को करमटोली (रांची) स्थित आदिवासी कॉलेज छात्रावास के पुस्तकालय भवन भवन में दर्जनों संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं स्थानीय युवक-युवतियों ने महादेव टोप्पो और उनकी धर्मपत्नी को पुष्पगुच्छ, झारखंडी परिधानों एवं संस्कारों के साथ सम्मानित किया। इस कार्यक्रम के संयोजक मंडल में शामिल थे, डॉ. नारायण उराँव, सैंदा, डॉ. नारायण भगत, नागराज उराँव, डॉ.