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तोलोंग सिकि लिपि के विकास की गाथा (भाग 1)
तोलोङ सिकि (लिपि), भारतीय आदिवासी आन्दोलन एवं झारखण्ड का छात्र आन्दोलन की देन है। यह लिपि आदिवासी भाषाओं की लिपि के रूप में विकसित हुर्इ है। इस लिपि को कुँड़ुख (उराँव) समाज ने कुँड़ुख़ भाषा की लिपि के रूप में स्वीकार किया है तथा झारखण्ड सरकार, कार्मिक प्राासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के पत्रांक 129 दिनांक 18.09.2003 द्वारा कुँड़ुख (उराँव) भाषा की लिपि के रूप में संविधान की आठवीं अनुसूची में दृाामिल किये जाने हेतु अनुांसित किया गया है। तोलोंग सिकि की विकास गाथा दो खंडों में प्रस्तुत है: नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करके पीडीएफ संस्करण पढ़ सकते हैैंैं।



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