चौंकाने वाली भविष्यवाणी है आदिवासी मौसम पूर्वानुमान कर्ता की
यह विडियो दिनांक 25.05.2025 को शूट किया गया आदिवासी मौसम विज्ञानी श्री गजेन्द्र उरांव उम्र 63 वर्ष ग्राम सैन्दा थाना सिसई जिला गुमला निवासी की है।
Kurukh Times बहुभाषीय पत्रिका का छठा अंक प्रकाशित हो चुका है। अपनी खास साज-सज्जा और समृद्ध लेखों से परिपूर्ण यह पत्र…
कुंड़ुख टाइम्स (वेब संस्करण) का अक्टूबर से दिसंबर 2022 / अंक 5 का यह संस्करण काफी पठनीय है। आप इसे यहां ऑनलाइन पढ…
धुमकुड़िया, उराँव आदिवासी समाज की एक पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र है। प्राचीन काल से ही यह, गा…
दिनांक 01 मई 2022, दिन रविवार को आदिवासी उराँव समाज समिति, बिरसा नगर, जोन न०-6, जमशेदपुर में ‘‘कुँड़ुख़ व्याकरण की पार…
आपको तो पता है कि हमारा-आपका एक और वेबसाइट KurukhTimes.com लम्बे समय से आपको कुंड़ुख जगत की खबरें, सूचनाएं और शोध आद…
कुंड़ुख़ भाषा में पहेलियों का प्रयोग बखुबी होता है। बच्चों के लिए यह बौदि्धक एवं भाषा विकास का एक अनोखा तरीका है जिसे स…
कुंड़ुख़ भाषा में मुहावरा एवं कहावत का प्रयोग बखुबी होता है। कई असहज बातों को इससे आसानी से समझा जाता है। आइये इसे जाने…
यह विडियो दिनांक 25.05.2025 को शूट किया गया आदिवासी मौसम विज्ञानी श्री गजेन्द्र उरांव उम्र 63 वर्ष ग्राम सैन्दा थाना सिसई जिला गुमला निवासी की है।
दिनांक - 21.02.2025 से 23.02.2025 को (कुंडुख़ उरॉंव) समाज के लोगों के बीच में
कुड़ुख़ भाषा संस्कृति परंपरा, ग्राम सभा विषयक कार्यशाला सम्पन्न हुआ। यह कार्यशाला टाटा स्टील फाउण्डेशन के सौजन्य से आयोजित हुआ। इस कार्यशाला का आयोजन, कुड़ुख़ भाषा सांस्कृतिक पुनरुत्थान केन्द्र बम्हनी, गुमला तथा अददी कुड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रॉंची के संयुक्त संयोजन में किया गया।
पूरी रिपोर्ट पढि़ये नीचे पीडीएफ में..
उपनिवेषवाद का अर्थ है - ‘‘किसी समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने विभिन्न हितों को साधने के लिए किसी निर्बल किन्तु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का, शक्ति के बल पर उपभोग करना।’’
यहाँ धार्मिक उपनिवेषवाद का अर्थ है - कमजोर और असंगठित समाज को अपने धार्मिक जाल में उलझा कर उसके सांस्कृतिक विरासत का विनाश करते हुए अपने समूह में मिला लेना है।
पूरी रिपोर्ट पढि़ये नीचे पीडीएफ में..
दिनांक - 21.02.2025 से 23.02.2025 को कुड़ुख़ (उरांव) समाज के लोगों द्वारा कुड़ुख़ भाषा संस्कृति परंपरा, ग्राम सभा विषयक कार्यशाला टाटा स्टील फाउण्डेशन के सौजन्न्य से सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला का आयोजन कुड़ुख़ भाषा सांस्कृतिक पुनरूत्थान केंद्र बम्हनी, गुमला तथा अद्दी कुड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची के संयुक्त संयोजन में किया गया। कार्यशाला के प्रथम दिवस दिनांक 21.02.2025 को दूर-दराज से आए उरॉंव समाज के लोगों द्वारा कार्यक्रम में परिचर्चा का विषय निर्धारित किया गया। ग्राम वासियों ने ज्वलंत समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए परिचर्चा करने के लिए विषय चुना गया। कार्यशाला के दूसरे दिन दिनांक
Sarhul: Introduction: Sarhul is a vibrant spring festival celebrated in Jharkhand, marking the beginning of the new year. Observed for three days, starting from the third day of the Chaitra month, it holds deep significance for the Kurukh / Oraon speaking Dravidian community.
The name "Sarhul" likely originates from the Tamil word “Cālam” (சாலம்), which refers to trees and flowers. This connection is particularly relevant because the festival revolves around the Sal tree (Shorea robusta), known in Tamil as Kuṅkiliyam (குங்கிலியம்) or Attam (அட்டம்).
यह विडियो दिनांक 28.03.2025 को शूट किया गया है। यह आयोजन परम्परागत उरांव पड़हा ग्रासभा, सिसई-भरनो के सदस्यों द्वारा संचालित किया गया है। इस आयोजन की पूरी व्यवस्था, ग्रामीण लोगों के आपसी सहयोग से किया गया है। आपसी सहयोग एवं समर्पण तथा समाज के युवकों एवं बुजुर्गों का आपसी तालमेल आने वाले समय के लिए एक सराहनीय कदम है। आइए विडियो का अवलोकन एवं मुल्यांकन करें -