मुड़मा जतरा 2025 : धूमिल संस्कार, मालामाल दुकानदार
दिनांक 8 और 9 अक्टूबर को लगने वाला मुड़मा जतरा आज मेला में तब्दील हो गया है,1984 ई में जब मैं मुड़मा जतरा गया था तब पूरे मैदान में जतरा के घोल नजर आ रहे थे। नागपुरी कलाकारों की मंच और उरांवों की खोड़हा कम से कम 30-35 रहा होगा, गगन भेदी मधुर मांदर नगाड़े की ध्वनि के साथ रात गुलजार हो गया था । दुकानदार थे परन्तु किनारे और छोटे छोटे हस्तकला के समान विशेष थे । खेलने और नाचने के लिए प्रयाप्त जगह था, झूले देहाती यानी छोटे और बड़े जतरा के शोभा बढ़ा रहे थे । ईख से मानो जंगल का क्षेत्र लग रहा था । गांव के गांव बच्चे बूढ़े जवान जतरा में घोल के घोल चढ़े थे । झूले और तरह तरह के मिठाई की दुकानों से मेला